१
सुरज देव किरणे फैलाओं।
चाँद देव रोशनी फैलाओं।।
खुशी का अवसर हैं आज।
बहारों अब फुल बरसाओं।।
२
शांति दूत से पहचाना जाता।
गले सभी को प्यार से लगाता।।
छोटे बड़े का भेद न करता।
ऐसा अनोखा वतन हमारा।।
३
इच्छाओं पर अपने वश न रहा।
आमदानी का सम्मान न रहा।।
ताल मेल का हमारा ये अभाव।
दुखों का यही असली भाव रहा।।
४
क्रोध जब जब भी आता हैं।
काम बिगाड़ हमारा जाता हैं।।
रह रह तब वह पछताता हैं।
क्रोध जब असर दिखाता हैं।।
कुन्दन पाटिल - देवास (मध्यप्रदेश)