नित नूतन वंदन गाएँ,
सुप्रभात पुष्प सजाएँ।
पावन पुण्य अवध धरा पर,
आओ हम संग प्रसादी पाएँ।
हुआ पुण्य शिला पूजन,
हुआ आधार नव लेखन।
पावन पुण्य सरयू के तट पर,
आओ हम संग प्रसादी पाएँ।
हुआ शुरु माया का अर्पण,
दसवाँ भाग धरम समर्पण।
रामकाज में बढ़ चढ़कर,
आओ हम मनभाव जगाएँ।
पाँच सदी में हटा तिमर,
राष्ट्रहित आलोक शिखर।
घर-घर गूंजे रामकथा स्वर,
आओ पुण्य प्रसादी पाएँ।
आशा की नव ज्योत प्रज्ज्वलन,
'सर्वे भंवतु सुखना' भाव उज्जलन।
'अतिथि देवों भव' संस्कार भरकर,
आओ हम सब पुण्य प्रसादी पाएँ।
अजय गुप्ता "अजेय" - जलेसर (उत्तर प्रदेश)