वक़्त बदल रहा है - कविता - संदीप कुमार

ऐसा लगता है जैसे वक़्त बदल रहा है।

कई लोग हमसे बेवज़ह, दूर होते नज़र आ रहे हैं।
हम भी ज़िन्दगी से, मजबूर होते नज़र आ रहे हैं।
आज तक नहीं किया था, कोई ग़लत काम हमने।
अब हर रोज़ हमसे ही, क़सूर होते नज़र आ रहे हैं।

ऐसा लगता है जैसे वक़्त बदल रहा है।

न जाने क्यों हमसे, लोग मुँह मोड़कर जा रहे हैं।
जो थामे थे हाथ, वो भी हाथ छोड़कर जा रहे हैं।
दोस्त कई रहते थे कभी, हमारे साथ महफ़िलों में।
आज सभी लोग हमसे नाता, तोड़कर जा रहे हैं।

ऐसा लगता है जैसे वक़्त बदल रहा है।

नसीब के सितारे आजकल, थोड़ा कम जल रहे हैं।
हमारे साथ राहों में, बस हमारे ही ग़म चल रहे हैं।
हमने तो सही रास्ते में चलने की कोशिश की थी।
फिर भी हम पीछे, लोग बहुत आगे निकल रहे हैं।

ऐसा लगता है जैसे वक़्त बदल रहा है।

संदीप कुमार - नैनीताल (उत्तराखंड)

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