प्रवीन "पथिक" - बलिया (उत्तर प्रदेश)
उनके चेहरे - कविता - प्रवीन "पथिक"
शुक्रवार, मार्च 26, 2021
ग़मों की परछाई में,
अपनी हर तन्हाई में,
दिखते,
उनके चेहरे।
वो सूनी बाहों में,
अपनी हर राहों में,
साथ लिए,
चलते उनके चहरे।
दिन के अवसान में,
तारों भरे आसमान में,
चमकते,
नज़र आते उनके चेहरे।
साथ चलते भी,
कुछ क़दम।
दूर करते भी,
कुछ ग़म।
पर,
जब देखता उन चेहरों में,
अपनापन।
टूट जाता मेरा,
सारा भ्रम।
खींच जाता,
उन चेहरे से मेरा मन।
तब,
और भी प्यारे
नज़र आते,
उनके चेहरे।
छा जाते आँखों में,
खिलते फूल से,
दीप्तिमय मोती-सा प्यार लिए।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर