बहुत ही अंतर है - कविता - समुन्द्र सिंह पंवार

पाने और खोने में,
हँसने और रोने में,
लोहे और सोने में,
बहुत ही अंतर है।

बुढ़ापे और जवानी में,
कविता और कहानी में,
सुनो दादी और नानी में,
बहुत ही अंतर है।

आज़ादी और ग़ुलामी में,
विरोध और सलामी में,
पतलून और पैजामी में,
बहुत ही अंतर है।

खिचड़ी और खीर में,
राधा और हीर में,
सुई और तीर में,
बहुत ही अंतर है।

रावण और राम में,
कंस और श्याम में,
सज़ा और इनाम में,
बहुत ही अंतर है।

सुनो चाँद और तारों में,
पतझड़ और बहारो में,
फूल और अंगारों में,
बहुत ही अंतर है।

अँधेरे और उजाले में ,
लोटे और प्याले में,
जीजा और साले में,
बहुत ही अंतर है।

होली और दीवाली में,
साली और घरवाली में,
प्रशंसा और गाली में,
बहुत ही अंतर है।

बस्ते और तख्ती में,
नरमी और सख्ती में,
योग और भक्ति में,
बहुत ही अंतर है।

सुनो दिन और रात में,
जुदाई और मुलाकात में,
धूप और बरसात में,
बहुत ही अंतर है।

आशा और निराशा में,
बोली और भाषा में,
भूगोल और इतिहासा में,
बहुत ही अंतर है।

गाँव और शहर में,
सुबह और दोपहर में,
"समुन्द्र" और नहर में,
बहुत ही अंतर है।

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

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