जब से तुझे देखा है
तेरी छवि अतःचक्षु से विस्मृत नहीं होती।
चाहती है वह सबकुछ
जो एक प्रेमी-प्रेमिका के लिए आवश्यक है;
प्यार करने के लिए।
लगता है
जैसे बारिश के पहली फुहार-सी,
मेरी ज़िन्दगी में
पहला क़दम रखी हो।
और
भीग गया हूँ मैं
उस प्रेम-जल से,
सराबोर।
खड़ा हूँ;
आवारा-सड़कों पर गहन-रजनी में,
फिर से!
तेरी दूसरी बारिश की प्रतीक्षा में।
आँखों में
तेरी सूरत लिए;
अपलक, निश्चल, एकांत।
प्रवीन "पथिक" - बलिया (उत्तर प्रदेश)