पहचान - कविता - तेज देवांगन

देर हुई पर जान बाकी है,
हम दोस्तों की पहचान बाकी है,
बन गया है, रिश्ता हसीन लम्हों का,
अभी तो मस्ती की सुबह शाम बाकी है।
सब कुछ है, मेरी दोस्ती आसमान की तरह,
की मांझे से पतंग कटी नही,
और कई एक उड़ान बाकी है,
देर हुई पर जान बाकी है,
हम दोस्तों की पहचान बाकी है।
नहीं मिली ज़िंदगी, जिसे गवाना मुझे,
अभी तो मेरे अरमान बाकी है,
देर हुई पर जान बाकी है,
हम दोस्तों की पहचान बाकी है।

तेज देवांगन - महासमुन्द (छत्तीसगढ़)

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