मैं और मेरी तन्हाई - कविता - आनन्द कुमार "आनन्दम्"

मैं और मेरी तन्हाई!
अक्सर बातें करती है।
वह मुझसे सवाल करती
और मैं सवालों की गठरी लिए
जवाबो की शहर पहुँचता
पर जवाब ढूँढ न पाता,
ये सिलसिला जारी है...
कई दफ़ा सोचता हूँ
रिश्ता ही तोड़ दूँ
अगले ही पल 
ज़ेहन में फिर एक सवाल 
रिश्ता जोड़ा कब?
मैं और मेरी तन्हाई!
अक्सर बातें करती है।

आनन्द कुमार "आनन्दम्" - कुशहर, शिवहर (बिहार)

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