दिल की आवाज़ है कविता - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"

अंतःस्थल के भावों से उपजी,
शब्दों का ताना-बाना है कविता।
मन के द्वार खोल के निकली,
दिल की आवाज़ है कविता।

दुःख और क्रंदन से उपजी,
दर्द-भरी दास्तान है कविता।
आर्तनाद के साथ आह निकली,
हृदय की धड़कन है कविता।

कल्पनाओं के सागर में डूबी,
अन्तरमन की स्पंदन है कविता।
हृदयेश के वियोग से निकली,
बिछुड़न में रुख़सत है कविता।

जब प्रिय के संग हो प्रियतमा,
तब प्यार-भरी मुस्कान है कविता।
विघ्नकारी हालातों के दरम्यान,
टूटे हुएँ सब अरमान है कविता।

सुनसान राहों में सहारा बनती,
अकेलेपन की मीत है कविता।
अंग-अंग में रोमांस जगाया करती,
दो दिलों की प्रीत है कविता।

कानाराम पारीक "कल्याण" - साँचौर, जालोर (राजस्थान)

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