है गुज़ारिश आपसे - ग़ज़ल - मनजीत भोला

आशियाना चीज क्या है आब-दाना छोड़ दें।
किस लिए लेकिन परिंदे चहचहाना छोड़ दें।।

मान ले सी लें ज़बां हम बात तेरी मान कर,
आँख यें किसके कहे से डबडबाना छोड़ दें।

बारिशों के साथ ओले, बिजलियाँ गिरती यहाँ,
खौफ़ से दहक़ान क्या फ़सलें उगाना छोड़ दें।

एक-तरफ़ा बात मन की हो नहीं सकती सुनो,
है गुज़ारिश आपसे यूँ बरग़लाना छोड़ दें।

तुम नए इस्कूल कॉलिज दे सके ना देश को,
जो बचे हैं कम-अज़-कम उनको गिराना छोड़ दें।

काम करने को मियाँ जी हाथ यें आज़ाद हैं,
रोटियों पे आप गर पहरे बिठाना छोड़ दें।

भूक जाए भाड़ में क़ायल हुए हम आपके,
आपने समझा पिए हैं लड़खड़ाना छोड़ दें।

मनजीत भोला - कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos