प्रवीन "पथिक" - बलिया (उत्तर प्रदेश)
व्यथित मन - कविता - प्रवीन "पथिक"
शनिवार, फ़रवरी 20, 2021
हृदय और भी हो जाता व्यथित!
जब सर्वस्व हारकर,
जाता तुम्हारे समीप;
कर देती कंटकाकीर्ण,
उर को मेरे
अपने शब्दभेदी बाणों से।
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