क्या हिंसा की सोच सिर्फ़
पुरुषों में होती है,
नहीं होती महिला में।
कहीं-कहीं घरेलू हिंसा
औरत ही करती है
पति के घर में।
आपको नहीं लगता है दहेज एक्ट का
दुरुपयोग हो रहा है,
किसी किसी घर में।
दहेज रहित शादी हुई फिर भी,
लिख दिया जाता है पूरा
परिवार दहेज एक्ट में।
"दुल्हन ही दहेज है"
की पालनकर्ता पीसते हैं
चक्की जेल खाने में।
घरेलू हिंसा केवल
सास-ससुर करते तो,
कोलाहल ना होता
वृद्धा आश्रम में।
दहेज लेने वाले से बड़ा अपराधी
देने वाला है शादी में।
जरा सी बात पर
बोल बिगड़ जाते हैं,
नववधू के अपने ही घर में।
धमकी ही निकलती है
दहेज एक्ट लगाने की ज़ुबान में।
जब दोनों पक्ष सज़ा पाएँगे
बराबर के अपराध में,
काफी कम होंगे केस न्यायालय में।।
प्रीति बौद्ध - फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश)