आने वाला कल अच्छा है - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी

मनसा, वाचा, कर्मणा से,
सरसब्ज़ हैं आप,
तो आने वाला कल अच्छा है।
मन से परोपकार करना,
मन से किसी दिल को
सांत्वना देना,
यही उत्तम है
और सब कच्चा है।
वाणी आदमी को, कहाँ से
कहाँ पहुचाती है।
मीठे वचन इंसान को
खुशी देती है,
कटु वचन 
इंसान को ठेस दिलाती है।
अश्वासन से मिला भरोसा,
कभी कड़वाहट में 
बदल देता है।
और कभी
वचन ही
चौदह साल
वनवास लेता है।
वचन पड़ गया
झूठा तो,
हर मोड़ पर
खाता गच्चा है।
वचन के पक्के 
रहो तो,
आने वाला कल अच्छा है।
कर्म करो ऐसे जग में 
पहचान बने तुम्हारी।
कर्तव्य से ही होता है
राजा और रंक।
कर्म ने ही कइयों की,
ज़िंदगी सँवारी है।
वेद पुराण और ऋषी मुनियों 
की यही तो 
जग के लिए शिक्षा है,
संयम और मितव्यता,
बनी रहे जीवन में 
तो आने वाला
कल अच्छा है।

रमेश चंद्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos