देश के बुद्धिजीवियों
कंबल रज़ाई छोड़ो
आगे आओ
बस एक क़दम
पहल की ओर।
अपने-अपने बच्चों को
तड़के सुबह जगा दो
किताब हाथ में थमा दो।
आप अनपढ़ है तो कोई बात नही
उससे बोलो
केवल पन्ने पलटें,
ऐसा रोज़ाना करें।
एक दिन मेहनत रंग लाएगी,
इससे पहले आपको जागना पड़ेगा।
देखो नभ की ओर
बस एक क़दम
पहल की ओर।
शिक्षा हर समस्या की चाबी है,
स्वयं तक मत रहे
आप जहाँ है वहीं से
लोगों को जगाओ।
कोई डाँटेगा कोई गाली
कोई अनसुना करेगा,
कोई बात नही
एक दिन सुनेगा
घर-घर से शिक्षित निकलेगें।
माँ भारती की सेवा में
जिस दिन सभी आगे आ जाएँगे,
उसी दिन भारत शिरमौर होगा।
चुपचाप करो शोर
बस एक क़दम
पहल की ओर।
संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)