चलो मैहर की ओर - कविता - अंकुर सिंह

मैहर वाली मैया करें,
हम सब की नैया पार।
माँ के दर्शन से होता,
सबके जीवन का उद्धार।।

देखो मैया के दर्शन हेतु,
हम सीढ़ी चढ़ के आए है।
पुष्प, नारियल, चुनरी संग,
मैया श्रद्धा सुमन चढ़ाए है।।

मैहर की मैया कहलाती,
मैहर वाली शारदे माँ।
हाथ जोड़ करें विनती,
रखो मैया हमारा सम्मान।।

रोज सबेरे पूजा संग,
आल्हा पुष्प चढ़ा जाते।
मैया के दर्शन हेतु,
भक्तगण मैहर आते।।

मध्य प्रदेश के सतना जिले में,
त्रिकूट पर्वत पर मैया विराजे।
माँ के मंदिर में,
नित्य दिन ढोल मजीरा बाजे।।

जो करें मैया का दर्शन पूजन,
मैया रखती उसपर आशीष।
वीर आल्हा ने दिया कभी,
मैया को अपना चढ़ा शीश।।

आओ भक्तों, हम सब भी,
चले मैहर की ओर।
दर्शन कर माँ शारदा की,
जुड़े मैया की स्नेह के डोर।।

आओ माँ के चरणों में,
हम सब शीश झुकाएँ।
बनी रहे उनकी कृपा,
आशीष हम सब पाएँ।।

अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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