अभी कल की बात है - ग़ज़ल - मनजीत भोला

पीते न थे वो  हाफ़ अभी कल की बात है,
आता नज़र था साफ़ अभी कल की बात है।

शामिल सबा में थी यहाँ खुशबू अजान की,
कोई न था ख़िलाफ़ अभी कल की बात है।

बारह खड़ी के साथ में वालिद ज़नाब के,
पढ़ते थे काफ़ गाफ अभी कल की बात है।

मंटो की बू के साथ अदालत में जो गया,
आपा तेरा लिहाफ़ अभी कल की बात है।

शाना किसी का हो गया तकिया जो रात में,
पाया नहीं ग़िलाफ़ अभी कल की बात है।

मकतब के दर खुले हुए थे सबके वास्ते,
थी फीस भी मुआफ़ अभी कल की बात है।

मनजीत भोला - कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

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