प्रतिशोध अपराध का जन्मदाता - लेख - शिव शिल्पी

आधुनिक समय में व्यक्तियों में निकटता बढ़ती जा रही है और यह निकटता मित्रता तथा प्रेम सम्बन्धों के रूप में दिखाई पड़ती है। जो कि सकारात्मक पक्ष है लेकिन इसके विपरीत देखें तो ऐसे सामंजस्य का प्रभाव अधिकांश लोगों के जीवन में नकारात्मक रूप में दिखाई देता है। एक दूसरे के अत्यन्त करीब होने से एक दूसरे की बुराइयां दिखाई देने लगती हैं जिससे आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू होता है जो अंततः एक दूसरे के प्रतिद्वंदी का रूप धारण कर लेता है और धीरे धीरे करीबी दूरी में बदलने लगती है। और तमाम यादों का पिटारा छोड़ जाती है जो व्यक्ति के तनाव का कारण बनता है। और इसी तनाव से ग्रस्त अधिकांश व्यक्ति मूर्खता के वशीभूत होकर प्रतिशोध की ज्वाला में जलने लगते हैं और अपराध जैसे कृत्य को अंज़ाम देते हैं और अपने वर्तमान तथा भविष्य दोनो को काल के मुँह में धकेल देते हैं। और इसका परिणाम केवल और केवल हानिकारक ही होता है जो परिवार के सदस्यों के जीवन पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देता है।

ध्यान रखिए ज़िन्दगी बहुमूल्य है इसे व्यर्थ ना जाने दें 
आपका अतीत कितने संकटों से गुज़रा है और आपके व्यक्तित्व पर किसी ने कीचड़ उछाला है। जिसके उपरांत आप वर्तमान में प्रतिशोध लेने की भावना रखते हैं तो आप अपने बहुमूल्य समय की बरबादी कर रहे हैं। तथा आने वाले भविष्य को निराशा के गर्त में डुबाने जा रहे हैं। प्रतिशोध लेने में अगर आप सफल होते हैं तो भी आपको कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। वरन इसके विपरीत आपको और कठिनाइयों से गुज़रना पड़ सकता है और इन प्रतिशोधी परिस्थितियों में हानि निश्चित है। अगर आपको लगता है कि किसी ने आपके साथ अपराध किया है और वो सजा के लायक है तो कानून का सहारा लीजिए।

प्रतिशोध के विपरीत अगर आप अपने वर्तमान समय का सदुपयोग कर स्वर्णिम भविष्य की इमारत खड़ी करें तो बेहतर होगा। आधुनिक युग आपके व्यक्तित्व परीक्षण का युग है आपको इस परीक्षा में सफल होने के लिए जीवन को उन्नत बनाना होगा और यह तब ही संभव है जब आप वर्तमान में पूर्ण रूप से लक्ष्य के प्रति समर्पित होंगे। 

आपने क्या गलत किया था और क्या गलत सहा था। कुछ भी मायने नहीं रखता। केवल मायने रखेंगी तो आपकी उपलब्धियां आपका उज्जवल भविष्य, इसलिए समय को ना गवांए और अपने लक्ष्य की ओर उन्मुख हों।

शिव शिल्पी - रायसेन (मध्यप्रदेश)

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