नमन शुक्ला "नया" - बरेली (उत्तर प्रदेश)
वतन से जुड़ो - कविता - नमन शुक्ला "नया"
गुरुवार, जनवरी 14, 2021
आज तक तुम जिये हो, कलह-स्वार्थ में,
अब तनिक राष्ट्र के संगठन से जुड़ो।
जाति, भाषा, धरम, प्रान्त सब भूल कर,
हिन्द की पूज्य धरती, वतन से जुड़ो॥
आस्तीनों में अब साँप बसने लगे।
शुभ अनुष्ठान में विष बरसने लगे।
बन्धु ही बन्धु पर व्यंग्य कसने लगे।
शत्रु मतभेद लख, नाच-हँसने लगे।
यह घड़ी चेतने की, न विग्रह करो,
आ मिलो, मन-हृदय, प्राणपन से जुड़ो।
हिन्द की पूज्य धरती, वतन से जुड़ो॥
व्यर्थ छाया नशा, मद-अहंकार का।
उग्रता, दुश्मनी, द्वेष, संहार का॥
है नियम एक इस क्षीण संसार का।
सिर्फ इतिहास रह जाएगा प्यार का॥
फेंक पत्थर-पलीते चुके हो बहुत,
अब सभी की कुशलता, अमन से जुड़ो।
हिन्द की पूज्य धरती, वतन से जुड़ो॥
बन रही हैं प्रगति की नई सीढ़ियाँ।
पिस चुकी हैं युगों तक बहुत पीढ़ियाँ॥
देश आज़ाद है, कट गईं बेड़ियाँ।
तोड़ निस्सार दो, सब प्रथा-रूढ़ियाँ॥
कूप-मंडूक का अब न जीवन जिओ,
विश्व-विज्ञान के नव मनन से जुड़ो।
हिन्द की पूज्य धरती, वतन से जुड़ो।
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