कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
नदी जीवन है - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
गुरुवार, जनवरी 14, 2021
अंधाधुंध आधुनिकता की
तुम वो बनावट रहने दो,
बहने दो जल को तुम जो
वो रूप धरा का रहने दो,
ताल तलैया नहर जो भैया
पावन नीर तो बहने दो,
अंधाधुंध आधुनिकता का
झूठा गाना रहने दो,
कुछ बची नदी जो जीवन है
उनको भी ज़िंदा रहने दो,
अंधाधुंध आधुनिकता मे
भी अपना जीवन रहने दो।
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