करो तैयारी हिंदुस्तान अब
दुश्मन का संघार करो,
जो पाँव धरे भारत भूमि पर
उसका तुम संघार करो।
दिखला दो तुम फिर सौर्यमान वो
नभ, जल, थल से वार करो,
कर दो माटी का कर्ज़ अदा
हिंदुस्तानी तुम वार करो।
दुश्मन का तुम संघार करो
भारत माँ के वह सिंह हो तुम
फिर से तुम वो हुंकार भरो
दुश्मन की ज़ंजीरो से अब
क़ैद हिमालय आज़ाद करो।
बहे लहू का एक कतरा जब
रण की भूमि मे अपनी
रुप धरो रण चंडी का
फिर रक्त बीज संघार करो।
अगर जरूरत पड़ जाय
तो शिव रुप काल वो याद करो,
सत्य यही निज मातृ भूमि का
रावण के वध को याद करो।
एक कौरव न शेष बचा था
रुप श्याम वो याद करो,
करो तैयारी हिन्दुस्तान अब
दुश्मन का तुम संघार करो।
निज मातृ भूमि की रक्षा मे
अपने प्राणो को दान करो,
इतिहास यही निज मातृ का
जब जगा पद्मिनी का जौहर था
निज मातृ भूमि की रक्षा ख़ातिर
जब जगा वो केसरिया बाना था।
बहा लहू का एक कतरा जब
रण मे प्रताप वो सिंह जगा,
अब लिख दे रण की अमर कहानी
रण मे जागा वो राणा था
काट शीश दुश्मन का रण मे
वो खून का मराठा ताजा था
रण जीता तो आर्यवृत्त का
छत्रसाल वो राजा था
फिर करो तैयारी हिंदुस्तान अब
दुश्मन का तुम संघार करो
जो पाँव धरे भारत भूमि पर
उसका तुम संघार करो।
कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)