दिलीप कुमार शॉ - हावड़ा, कोलकात्ता (पश्चिम बंगाल)
जाते जाते 2020 - कविता - दिलीप कुमार शॉ
शनिवार, जनवरी 02, 2021
यह साल (2020) सबक़ कुछ ज़्यादा दे गया,
मुसीबतो में अपनों का असलियत बता गया।।
रिश्ते कैसे बदलते है इसका झाँकी दिखा गया,
परिवार के साथ ज़िंदगी जीने का तरीका बता गया।।
कोरोना घाव बहुत ही गहरे दे गया,
सबको जीने की नई दिशा बता गया।।
प्रकृति से खेलवाड़ का अंजाम क्या होगा,
सबको यही सीख बता गया।।
ईश्वर मानव को अपना कहर दिखा गया,
मानव हो मानव ही रहो ये औकात बता गया।।
ईश्वर मानव को नया सन्देश दे गया,
सीमा में ही रहने की सीख बता गया।।
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