ईश्वर का धन्यवाद - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

आइए! ईश्वर का 
धन्यवाद करते हैं,
अपने अंदर बैठे ईश्वर को 
नमन करते हैं।
ईश्वर ने हमें वो सब दिया
जो हमारी ज़रूरत है,
पर हमनें वो नहीं किया
जो सबकी ज़रूरत है।
अपने आपमें झांकने की
अब हमें ज़रूरत है,
सिर्फ़ पाने की ही नहीं,
बाँटने की भी ज़रूरत है।
बस! खुश रहिए
खुशियाँ फैलाइए,
जीवन का एक उद्देश्य बनाइये
सारे जहां में रोतों को हँसाने को
अपना आधार बनाइए।
आप श्रेष्ठ हैं ये भाव अच्छा है
मगर ज़रा दुनिया में 
अपनी श्रेष्ठता के 
दर्शन भी कराइए।
इंतज़ार बंद कीजिए
हौसला कीजिए
ईश्वर का अंश आप भी तो हैं,
फिर किस बात की चिंता है?
ईश्वर हमारी तरह निठल्ला तो नहीं
फिर उसके अंश का
मायूस होना अच्छा तो नहीं।
ईश्वर का धन्यवाद कीजिये
उसने आपको चुना है,
उसके चुनाव का अपमान
तो मत कीजिए।
ईश्वर हर पल हमारे साथ है,
कम से कम इसका ख़्याल तो कीजिए,
इसके लिए ही सही
ईश्वर का धन्यवाद तो कीजिए।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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