अपना भी एक विधायक हो - हास्य कविता - योगेन्द्र शर्मा 'योगी'

इस लोकतंत्र की धुन गाने को
चाहे जैसा गायक हो
लायक हो नालायक हो
अपना भी एक विधायक हो।

राजनीत के गलियारे में
अपनी हस्ती बना के लुटे
बस्ती में वह स्वेत वसन का
तपा हुआ अधिनायक हो।

बनकर मंत्री धाक जमाये
बिना डकारे बजट पचाये
करै घोटाला ठाला में भी
इतना अद्भुद नायक हो।

पुलिया सड़क खड़ंजा का
हमको भी ठेकेदार बनाकर
कर दे बेड़ा पार हमारा
उम्दा सखा सहायक हो।

रंगदारी का धंधा चमके
आसमान तक ख्याति पहुँचे
सिर पे हाँथ सदा हो उसका
लगे यार अभिभावक हो।

जैसी हवा चले अपना ले
उड़कर गिरकर थाह थहा ले
कहूँ क्या ज्यादा नेता भेष में
"योगी" पथ का वाहक हो।

लायक हो नालायक हो
अपना भी एक विधायक हो।।

योगेन्द्र शर्मा 'योगी' - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos