घिसट-घिसट दिसंबर आया
और ये साल गया।
अगर मौसम बदला
पड़ने लगे तुषार।
और फसल-खेत को
चढ़ने लगे बुखार।।
कोरोना के कारण
उत्सव और धमाल गया।
ठंड पड़ रही
दिन पहनते ऊनी वस्त्र।
रख दिए रवि ने
तप्ती किरणों के शस्त्र।।
रिश्तों में अनबन जब हुई
नाक का बाल गया।
हैं ठंडी रातें
और हुए ठंडे दिन।
सूर्य का लाॅकेट
और हुए गंडे दिन।।
कुछ लोगों की समझ -बूझ से
बड़ा बवाल गया।
अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)