अभी तो तू युवान है,
तेरे रक्त में ऊफान है।
तू वक़्त से यूँ हारकर,
क्यों देता अपना जान है?
जो आज के हालात है,
वो हर युवा के पास है।
वक़्त के पछाड़ से,
फिर! तू ही क्यों उदास है?
उनको (वृद्ध) भी तो आश है,
जो मौत के इतने पास है।
अभी तो तू युवान है,
फिर हताश क्यों, निराश है?
काल के प्रहार से ,
यूँ! खुद को न, मार तू।
आज कर प्रयास और,
कल को फिर संवार तू।।
न पैरों को थकान दे,
न भुजा को आराम दे।
मन को रख एकांत तू,
तन को थोड़ा काम दे।।
उठ! तू सबल है,
तेरा हौसला प्रबल है।
जो चिर जाये लौह को,
वो तेरा बाहुबल है।।
मिथलेश वर्मा - बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़)