त्याग - कविता - समुन्द्र सिंह पंवार

करना पड़ता है हम सब को त्याग।
कभी बड़ो के लिये तो कभी छोटों के लिये होता है त्याग।
त्याग में भी खुशी मिलती है जो करता है आत्मा से त्याग।

त्याग है चीज ऐसी,
जिससे कुछ मनुष्य डरते हैं।
त्याग से ही कुछ मनुष्य,
संसार में जीते जी मरते हैं।।

जो त्यागे जाते हैं वे तो,
जीते जी ही मर जाते हैं।
और जो त्यागी होते हैं वे,
सुख से जीवन बिताते हैं।।

जो बड़ों के लिये त्याग करें,
वे महान कहलाते हैं।
त्याग करें जो छोटों के लिये,
वे भगवान कहलाते हैं।।

त्याग से न होना विमुख तुम कभी,
इसमें है अजीब सी खुशी।
हजारों देशभक्तों के त्याग से,
हमे नशीब हुई है ये खुशी।।

वे न करते त्याग तो, पंवार न मिलती ये हमें खुशी।
हम करेंगे त्याग तो मिलेगी अगली पीढ़ी को खुशी।।

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

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