किसान है तो हम आज हैं - गीत - राम प्रसाद आर्य "रमेश"

किसान है, तब तो ये अनाज है, 
औ अनाज है, तो हम आज हैं।
किसान है, तो समाज है, 
औ समाज है, तो हर काज है।। 

किसान है, तो मन्दिर में पूजा, 
औ मस्जिदों में नमाज़ है।
किसान है तो होली, हरेला, 
औ ये भेटोला रिवाज़ है।। 

किसान है, तो धरा हरी-भरी है, 
यही तो निज देश की लाज है। 
किसान है, तो बल बांह बुद्धि है, 
बुलन्द ये कण्ठ आवाज है।। 

किसान है, अन्न, वस्त्र, साक, फल है, 
किसान है, श्रष्टि सज्जा-साज है। 
किसान है, राज सर ताज है, 
किसान है, उन्नति आगाज़ है।। 

ये जानकर भी कोई बता दे, 
किसान क्यों आज नाराज़ है? 
खेतों से सीधे सड़कों पे गूँजी, 
किसान की कैसी ये आवाज़ है? 

किसान है, खुश, हर हँसी-खुशी है, 
किसान दुखी, मायूस हर कोई आज है। 
किसान- हित, सबका हित निहित है, 
"रमेश" का तो ये बस अंदाज़ है।।

राम प्रसाद आर्य "रमेश" - जनपद, चम्पावत (उत्तराखण्ड)

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