अटल सत्य जीवन का मृत्यु,
पहले तुम स्वीकार करो,
मोक्ष धाम पावन भूमि है,
इस भूमि से प्यार करो।
सत्कर्मों को प्रेरित करती,
कड़वा सच बताती है,
खाली मुट्ठी आए जग में,
जीवन का सार दर्शाती है।
जग सराय में आना-जाना,
दो पल का बस डेरा है,
कुछ साँसों की सरगम है,
कुछ सांसो का फेरा है।
सद्भावों के जल से हमको,
फूल खिलाने का,
सुख-दुख बांटकर दुखियों के,
पुण्य कमाने का।
जन्म मरण का युगो युगो से,
गहरा नाता है,
गंगाजल सा निर्मल मन,
आकर यहाँ हो जाता है।
आठों याम जहां शिव शंकर,
बाबा भूतनाथ का डेरा,
ठिकाना अंतिम यात्रा का,
नए जीवन का सवेरा।
दुनिया में बस सब कर्मों का,
हिसाब चुकाना है,
ना कुछ लेकर आए थे तुम,
ना कुछ लेकर जाना है।
जब भावों का सागर उमड़े,
मन वीणा के तार बने,
शब्द शब्द मोती बन जाए,
कविता की झंकार बने।
कुछ खोया सा मिल जाता है,
मिला हुआ खो जाता है,
सुख-दुख की यादों का देखो,
कोई कागज नम हो जाता है।
रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)