जीवन के रंग - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

जीवन की दुनियाँ
बहुरंगी है।
जीवन में सुख दुख के बादल है
सुंदर आशा और
घोर निराशा भी है
अपने पराये दोस्त दुश्मन
इस जीवन के साये में हैं।
जीवन ने
अमीरी ग़रीबी, जाति धर्म
निंदा नफ़रत,
प्यार, इकरार, तकरार
मिलन, विच्छेद के
रुप भी दिखाये हैं।
सद्भाव, सांप्रदायिकता,
एकता, भाईचारा
हिंसा, अनाचार, अत्याचार
भ्रष्टाचार, शिष्टाचार
षडयंत्र, आडंबर, स्वर्ग नरक के रुप भी
इसी जीवन ने दिखाए हैं।
इस जीवन के अनोखे रंग ने
चाहे, अनचाहे रंग हमें
समय समय पर दिखाए हैं।


सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)


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