हाँ मैं किसान हूँ - कविता - आर एस आघात

सरकार की नीतियों से,
खेती हुई है चौपट,
हालात से बदहाल हूँ,
इसलिए परेशान हूँ। .... हाँ मैं किसान हूँ।

मुझको मिला न वाजिब,
दाम मेरी फसलों का,
फ़सल बेचकर कोडियों में,
कर्ज तले दबा इंसान हूँ। .... हाँ मैं किसान हूँ।

मिलता है भाव सोने के,
खाद-दवा ओर बीज,
बुलन्द कर सकता नहीं,
बिन आवाज़ का मेहमान हूँ। ... हाँ मैं किसान हूँ।

मौसम की ठंड - गर्मी चाहे बरसात,
मुझको डरा सकते नहीं,
बेमौसम वाली आपदा से,
हारा हुआ पहलवान हूँ। ... हाँ मैं किसान हूँ।

आर एस आघात - अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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