शिक्षा दे झोली भर देते
घट भीतर उजियारा करते
सभ्यता संस्कृति सिखाते
सन्मार्ग हमको दिखलाते
गुरु शिल्पकार मानव निर्माता
हम करें उनका सम्मान
सदा पूज्य रहे हमारे
मिलता नहीं गुरु बिना ज्ञान।
जीवन के घोर अंधेरों में
गुरु ज्ञान ज्योत जलाते हैं
गुमराह हो जाए पथ से
वो राह सही बताते हैं
आखर आखर मोती भरते
गुरु शब्द गुणों की खान
आदर्शों की मिसाल है
मिलता नहीं गुरु बिना ज्ञान।
देश प्रेम का भाव बढ़ाते
राष्ट्र हित में काम करते
ऊपर से सख्त भले हो पर
हमारे हितों का ध्यान रखते
बरसाते अपना स्नेह अपार
गुरु है हम सबकी शान
आशीर्वचन से भाग्य चमके
मिलता नहीं गुरु बिना ज्ञान।
रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)