छठ व्रत - कविता - रवि शंकर साह

स्वच्छता व सादगी का एक त्योहार है।
जिस पर हिंदुओं का आस्था अपार है।
छठ व्रत की महिमा के क्या कहने है?
करती इसको सभी माताएं-बहने है।

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष में आता है।
पर्व यह अति फलदायक कहलाता है।
सूर्य उपासना सच्चे मन से जो करता,
दुख दूर होता, मनवांछित फल पाता है।

सूर्य की बहना छठ मैया कहलाती है।
श्रद्धा भाव से जग में पूजी जाती है।
छठ व्रत के मत अलग-अलग भले है।
पर मन में सबकी चाह, मात्र एक है।

हे दिनकर, हे भास्कर, दिवाकर,
सुनलो कवि रवि की इक अर्जी
दूर करो जग का सब अंधियारा।
भक्ति भाव से चढ़ाता सब अर्ध्य तुम्हें।

रवि शंकर साह - बलसारा, देवघर (झारखंड)

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