शिव शिल्पी - रायसेन (मध्य प्रदेश)
अमानवीय कृत्य - कविता - शिव शिल्पी
मंगलवार, नवंबर 24, 2020
रात हो जाए, आँख लग जाए
दर्द ए गम कुछ पल सो जाए।
वक़्त ने ऐसा कहर बरसाया,
ये जख्म उससे सहा ना जाए।।
कितना आदि नशे का जमाना,
मस्ती में चूर हो चलता ही जाए।
तू कुचलता गरीबी को पहिए से,
क्यों बन के शराबी गाड़ी चलाए।।
कितने निकलते हैं लोग सड़क से,
जो बहते रक्त की तस्वीर ले जाए।
कोई हमदर्द ना अब तक है आया,
जो उस पीड़ित की चिकित्सा कराए।।
नेता भी देख के आगे को बढ़ गए,
किसी ने ना उसके गहरे घाव भराए।
कितने गुजर गए एंबुलेंस वहां से,
कोई ना उसको चिकित्सालय ले जाए।।
मानवता अब गर्त में डूबी जाती है,
अब फिर ज्ञानी विवेकानन्द आए।
दीन दुखियों के दर्द मिटाने खातिर,
फिर से शिरडी के साईं बाबा आए।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर