राम-राज को क्यों करते बदनाम - कविता - बजरंगी लाल

इस राम-राज का अब तक था मैं,
सुनता बड़ा बखान,
जहाँ नहीं है कोई सुरक्षित
माँ, बेटी, बहन व जवान,
इसी राम-राज में लूट रहे हैं,
इज्ज़त कुछ शैतान,
फिर इसको क्यों राम-राज कह,
राम-राज को करते हो बदनाम।।

राम-राज और राम सा जग में
नहीं है कोई महान,
राम सदृश तो राम हैं केवल,
दूजा ना इंसान,
लूट-पाट हत्या, बलात्,
का होना हो जहाँ आम, 
फिर उसको क्यों राम-राज कह,
राम-राज को करते हो बदनाम।।

नारी की लाज बचाने को,
छेड़ा जिसने संग्राम,
रावण जैसे पराक्रमी को,
दिया मृत्यु का धाम,
पर यहाँ बलात्कारियों को,
मिलता है सत्ता से सम्मान,
फिर इसको क्यों राम-राज कह,
राम-राज को करते हो बदनाम।।

राम सभी के परम् पूज्य हैं,
राम हैं गुण की खान,
इस कलयुग में कल्पना मात्र है,
राम-राज सा जहान,
जहाँ हक की खातिर डंडे खाते हों,
बेबस छात्र और किसान,
फिर उसको क्यों राम-राज कह,
राम-राज को करते हो बदनाम।।

जहाँ सीता रौंदी जाती हों,
नहीं बचाते राम,
जहाँ पंचाली का चीरहरण हो,
आते नहीं हैं श्याम,
ऐसे राज को कैसे हम
कह दें रघुनन्दन धाम,
फिर इसको क्यों राम-राज कह,
राम-राज को करते हो बदनाम।।

बजरंगी लाल - दीदारगंज, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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