सूबे में ऐसी सरकार चुनिए।
शासक नहीं सेवादार चुनिए।
आवाम का सुख दुख महसूस हो,
जुल्म के खिलाफ प्रतिकार चुनिए।
रोटी, कपड़ा और मकान के लिए,
सोचने वाला रसूखदार चुनिए।
बेटियां न जले, न हो चीरहरण,
अस्मत न लूटे, पहरेदार चुनिए।
जुमलेबाजी नहीं, झूठ भी न हो,
वादा निभाए वो वफादार चुनिए।
चांद सितारों की चाहत नहीं है,
जमीं से जुड़ी सरोकार चुनिए।
न बात कौम की हो,न जात पात हो,
मुल्क में एकल, परिवार चुनिए।
साहिल पे बैठा, एक 'अनजाना'
पार लगाए वो पतवार चुनिए।
महेश "अनजाना" - जमालपुर (बिहार)