क़ब्र से - कविता - शिवम् यादव "हरफनमौला"

जब मैं जिंदा था तब मुझको,
पानी तक ना दे पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
पानी देने आए हो तुम।।

जब मैं जिंदा था तब मुझको,
कभी खुश होकर मन से, एक रोटी ना दे पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
पकवान देने आए हो तुम।।

मेरी तकलीफों में एक कतरा,
आँसू तक बहा ना पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
आँसुओ की बारिश करने आए हो तुम।।

जब मैं जिंदा था तब मुझसे,
कौड़ी भर प्रेम ना कर पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
प्रेम लुटाने आए हो तुम।।

जिंदगी भर मुझको कांटा समझा,
मुझको कभी फूल समझ ना पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
फूलों की बौछार करने आए हो तुम।।

जिंदगी भर मुझसे दूरियां रखीं,
कभी एक बार भी, मेरे नजदीक ना आ पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
मुझसे चिपकने आए हो तुम।।

जिंदगी भर मुँह मोड़ते रहे,
कभी हँसकर बोल ना पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
मुझे बुलाने आए हो तुम।।

जिंदगी भर बुराइयां करते रहे मेरी,
कभी मुझे न महका पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
अगरबत्ती लगाकर महकाने आए हो तुम।।

जब मैं जिंदा था तब समाज में,
कभी मेरी वाहवाही न कर पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
वाहवाही करने आए हो तुम।।

जब मैं दुख से गुज़र रहा था,
तब मुझको कभी याद नहीं कर पाए तुम।
और आज क़ब्र पर मेरी,
इबादत करने आए हो तुम।।

और आज क़ब्र पर मेरी,
इबादत करने आए हो तुम।।

शिवम् यादव "हरफनमौला" - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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