सियासत - ग़ज़ल - वरुण "विमला"

सियासत की वफादारी पे शक करना बुरी बात थोड़े है
आज के लोगो की यारी पे शक करना बुरी बात थोड़े है 

साहिब-ए-मसनद की बातें ही पत्थर की लकीर, सच्ची
अंध भक्तों की होशियारी पे शक करना बुरी बात थोड़े है।

हुआ है हुक़्म सभी महफ़ूज़ तैयारी आले दर्जे की है
साहब की तैयारी पे शक करना बुरी बात थोड़े है।

लुट रहा सब कुछ यहाँ लाखों चौकीदारों की निगरानी में
चौकीदारों की पहरेदारी पे शक करना बुरी बात थोड़े है।

जिसके खाने के दाँत अलग दिखाने के अलग हों वरुण
उसकी  अदाकारी  पे  शक  करना  बुरी  बात  थोड़े  है।

वरुण "विमला" - बस्ती (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos