एक सवाल - कविता - राहुल जाटू

आज कल एक सवाल अक्सर,
मेरे दिमाग मे खटकता रहता हैं।
क्या ये सही हैं जाटू जो,
तू मोहब्बत के लिए गिड़गिड़ाता रहता हैं।
क्या उसे तेरे गुस्से के पीछे,
प्यार नज़र नही आता।
क्या उसे अपने ग़ुरूर के आगे,
अपना यार नज़र नही आता।
अगर मेरे सवाल का जवाब हां हैं तो तू,
वो जड़ बुद्धि हैं जिसे कुछ समझ नही आता हैं।
आज कल एक सवाल अक्सर
मेरे दिमाग मे खटकता रहता है।
छोड़ ना उस शख्स के लिए तड़पना,
जो तेरी मोहब्बत समझता नही।
छोड़ ना उस शख्स के लिए रोना,
जिसे तेरे होने ना होने से फर्क पड़ता नही।
क्यो उस के गुनहा की सजा,
खुद को देता रहता हैं।
क्यो अहले वफ़ा होने बावजूद भी,
खुद को बेवफा कहता रहता हैं।
आज कल फ़क़त यही सवाल अक्सर,
मेरे दिमाग मे खटकता रहता हैं,
मेरे दिमाग में खटकता रहता हैं।

राहुल जाटू - नांगल चौधरी (हरयाणा)

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