बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"

अजन्मी बेटी, करती पुकार।
मत करो, मेरे आस्तित्व का तिरस्कार।।
मैं भी तो  हूँ, तेरी कल्पना।
दूँगी बना, तेरा जीवन अल्पना।।
दे दो मेरे, अस्तित्व को पहचान।
मैं भी तो हूँ, धरती का वरदान ।।
मुझसे न होगा, तेरा सम्मान कम।
दे दे मुझे भी अब शारीरिक अंग।।
पढ़ा-लिखा बना देना मुझे महान ।
मैं तो बनूँगी, माँ तेरा अभिमान।।
होकर बड़ी, बनूँगी पापा का गुरुर।
दूँगी कर, सारी बदनसीबी को दूर।।
बन सकती मैं भी भारत की शान।
गर दिया, तूने मुझे, जीवन दान।।
अमेरिका, रूस, क्या आगे ।
हम भी तो हैं, देश के सच्चे धागे।।
दे दो मुझे अब जीवन का उपहार।
दूंगी संवार तेरा सारा घर संसार ।।
पापा की गुड़िया, माँ तेरी दुलारी।
होकर बड़ी, बनूँगी होनहार नारी।।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारा ।
कर दो पूरा, लगा जतन सारा ।।
पढा-लिखा, देना बना सुलक्षणा।
होगा तभी पूरा, मोदी जी का सपना।।

अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी" - कानपुर नगर (उत्तरप्रदेश)

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