चली डोली अरमानों की - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

चली      डोली   अरमानों      के  सुनहले   पथ,
सजा      ख्वाव     खूबसूरत     ले     अफ़साने।
भावों      को      समेटे     अन्तर्मन    स्वजीवन,
अन्वेषण      नवसृजन     साथ    हैं   अनजाने। 

चली   डोली    प्रमुदित  लिए  नयी  चाह  हृदय,
हरित   भरित  नव चमन  पौध  नयी सोच लिए।
कोमल   किसलय  काय  चारु कुसमित कानन,
पिकगान मधुप  अनुनाद  श्रवण  मधुमास हिये। 

मुकलित कुमुदावलि आह्लादित लखि विलसित,
पूर्णमास   निशिचन्द्र  मदन   रति    बाण  लिए। 
सरस  मधुर  नवगंध  सुरभि प्रिय मिलन ललित,
आलिंगन     नवनीत     गेह      मनमीत   धिये।

चली  डोली  स्वर्णिम  अतीत अपनों  को  तज,
अर्पण भविष्य परकीया  बन       परगेह  सजे।
आशंक   मनसि  अनुभूय विविध  साजन  नव,
सहभाग सुखद दुख आगम द्वय रत साथ प्रिये। 

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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