जीवन घुँघरू है - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"

इस दिल में बस तू ही तू है
साँसों  में  तेरी  खुशबू  है

अहसासों की हलचल में तू
तू  इक  प्यारा -सा जादू  है

तुझमें दो-दो रूह छुपी हैं
तू  ढोला, तू  ही  मारू है

नाम तेरा चाहे जो भी हो
बसी हुई तुझमें  चारू है

करदे दो पल ज़रा उजाला
अंधकार मैं, तू   जुगनू  है

अपनी ही पायल से बिछड़ा
लगता है जीवन घुँघरू है।।।।

ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)

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