शारद शीतल पूर्णिमा - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

शरदपूर्णिमा दिवस में, सिद्धियोग  सर्वार्थ।
धन वैभव सुख कीर्ति फल, दानपुण्य परमार्थ।।१।।

 सजी चारु षोडश कला, चन्द्रप्रभा रजनीश।
 महारास पावन दिवस, हो पूजन लक्ष्मीश।।२।।

सदा श्रेष्ठ सब पूर्णिमा, शरदपूर्णिमा स्थान।
शिवशक्ति पूजन करें, फलित पुण्य स्नान।।३।।

रखती माँ उपवास को, सन्तति सुख कल्याण।
कार्तिकेय पूजन करें, हो संकट से त्राण।।४।।

सत्यं शिव सुन्दर सुभग, आश्विन पूनम रात।
विहँस रही निशि चाँदनी, कुमुदावलि सौगात।।५।।

पिता प्रचेतस या वरुण, माँ चर्षिणी सपूत।
वाल्मीकि आदित्य सुत, रत्नाकर अवधूत।।६।।

शरद पूर्णिमा जन्मदिन, वाल्मीकि ऋषिराज।
रामायण लिख काव्य जग, आदिकवि सरताज।।७।।

रहे सुहागन नारियाँ, पाए सुख सन्तान। 
विष्णु प्रिया आराधना, रोग शोक अवसान।।८।।

माँ लक्ष्मी पूजन करें, तन मन धन उल्लास।
सुखद शान्ति धन अस्मिता, पूरण हो अभिलास।।९।।

आवाहन माँ वैष्णवी , दीपावलि। आगाज़।
जगमग जगमग चहुँदिशा, विजय गीत आवाज़।।१०।।

सजी धजी नव यामिनी, परिणीता शृङ्गार।
पूर्णिम शुभ कोजागरी, मादक मन रतिसार।।११।।

चन्द्रकला कुसुमित प्रिया, कलित ललित उद्गार।
प्रियतम नव साजन मिलन, रोमाञ्चित गलहार।।१२।।

गृहलक्ष्मी रमणी धिया, सरसिज मुख आनन्द।
अभिनव बन मधु माधवी, पुष्पित मन मकरन्द।।१३।।

आलोकित निशिचन्द्रिका, चन्द्रभानु अभिराम।
कोमल किसलय मन निकुंज, श्री धन यश सुखधाम।।१४।।

दही मखाना पान शुभ, आश्विन पूनम रात।
खीर बना श्री भोग दें, पाएँ सब सौगात।।१५।।

शारद शीतल पूर्णिमा, फलदायी अविराम।
स्वच्छ प्रकृति विकसित वतन, ज्ञान मान बलधाम।।१६।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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