पूनम का चाँद - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"

आज पूनम है नज़र आता चाँद,
शरद ऋतु का गज़ब ढाता चाँद।

कभी घटता तो कभी बढ़ जाता है,
चन्द्र कलाएँ नित नई-नई करता है।

पूर्ण चाँद आज की शाम ही निकल आता है,
सोलह कलाओं की कला बस इसी रोज़ दिखाता है।

कभी चमकता कभी मद्धम होता है,
कभी स्याह अंधेरा करता है।

दुख के बाद सुख आता है,
जैसे चाँद अमावस्या के बाद पूर्णिमा लाता है।

अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos