माँ होती है प्रकृति जैसी - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

माँ शब्द अपने आप में इतना वृहत इतना जटिल तम शब्द है जिसपर व्यख्यान करने मे सदियाँ भी कम पड़ जाएंगी। यह छोटा सा शब्द जिसने सारे संसार को अपने वजूद में समेटा हुआ है।
माँ को परिभाषित करने के लिए पन्ने कम पड़ेंगे स्याही कम पड़ेगी।

एक फिल्म का गाना याद आता है 
"मैं मुस्काया तू मुस्काई,
मैं रोया तू रोई, ओ माँ ओ माँ।
यह जो दुनिया है यह बन है कांटो का,
तू फुलवारी है ओ माँ माँ।"

क्या है यह माँ, क्या होता है इसका अर्थ?
यह बहुत ही गूढ़ है। परमात्मा के बाद अगर किसी का स्थान है संसार में ,तो वह माँ का स्थान है।
यूँ तो माँ जन्म देने वाली होती है इसलिए उसे जननी कहते हैं। लेकिन माँ शब्द का अर्थ सिर्फ जन्म देने में निहित नहीं है। उसका अर्थ बहुत गहरा व अलग है। अलग अलग व्यक्ति के नजरिए से नया वा भिन्न है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मां के बिना यह संसार असंभव था।

माँ और माता शब्द में जन्म देने वाली माँ को स्थान दिया जा सकता है, किंतु सिर्फ जन्म देने वाली माँ का मतलब माता नहीं होता, जबकि अम्मा, मम्मी तथा अन्य का अर्थ सिर्फ जन्म देने वाली से है।

माँ के हृदय में बच्चे के लिए प्यार, ममता व प्रार्थना के सिवा कुछ नहीं होता। माँ वह है जो अपने बच्चे को 9 महीने गर्भ में रखती है, उसे जन्म देती है, पालती है पोसती है। तमाम प्रसव पीड़ा सहकर भी बच्चे का मुख देखकर प्रसन्न हो जाती है। सदा ईश्वर से उसकी सफलता व अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती है। जीवन के हर अच्छे बुरे क्षणों में उसके साथ रहती हैं। बच्चों की सफलताओं से ईर्ष्या नहीं करती। उसके हाथ सदा अपने बच्चों को आशीर्वाद देने के लिए ही उठते है। उसके जीवन का हर प्रयास कहीं ना कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बच्चे के हित में होता है।

हर माँ तो अच्छी होती है, चाहे वह किसी भी योनि में हो, चाहे पशु हो, चाहे पंछी।
माँ अपने बच्चे से प्यार करती है यह प्राकृतिक सत्य है।
सारा संसार त्याग दे, लेकिन माँ कभी नहीं त्यागती इसीलिए मैंने एक रचना में लिखा है
"सारी दुनिया अगर छोड़ दे, कभी न छोड़े प्यारी मां।
सबसे होती न्यारी मां सबसे होती न्यारी माँ।"

किसी के भी जीवन में माँ पहली सर्वश्रेष्ठ और सबसे अच्छी व महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि कोई भी उसके जैसा सच्चा और वास्तविक नहीं हो सकता।
जिस दिन हम पैदा होते हैं वह माँ ही होती है जो सच में बहुत खुश हो जाती है। वह हमारे हर् सुख दुख का कारण जानती है और हमेशा इसी कोशिश में लगी रहती है कि हम हमेशा खुश रहें।

माँ से बेहतर किसी को माना नहीं जा सकता। उसके समान धरती पर प्यार व देखरेख करने वाला कोई दूसरा नहीं होता। माँ और बच्चों के बीच एक खास बंधन होता है जो कभी खत्म नहीं हो सकता।
कोई भी माँ अपने प्यार और परवरिश को बच्चे के लिए कभी कम नहीं करती, लेकिन उनके बुढ़ापे में कुछ लोग उन्हें थोड़ा सा प्यार नहीं दे पाते। इसके बावजूद वह कभी बच्चों की गलती नहीं समझती हमेशा एक छोटे बच्चे की तरह माफ कर दिया करती है। वह हमारी हर बातों को समझती है हम उसे बेवकूफ नहीं बना सकते। हम सबके जीवन में माँ के रूप में कोई नहीं हो सकता, उसका स्थान कोई नहीं ले सकता।

माँ प्रकृति की तरह होती है जो हमेशा बच्चों को देने के तत्पर रहती है उसके बदले में वापस कुछ भी नहीं चाहती।
हम जब इस दुनिया में आते हैं जीवन के पहले पल में माँ को ही पाते हैं, जब हम आते हैं सबसे पहले हमें माँ दिखाई देती है, जब हम बोलना शुरू करते हैं हमारा पहला शब्द माँ होता है।

इस धरती पर वह  हमारा पहला प्यार, हमारी पहली शिक्षक, हमारी पहले दोस्त, होती है। जब हम पैदा होते हैं तो हम कुछ नहीं जानते कुछ भी करने के लायक नहीं होते हैं यह माँ ही होती है जो अपनी गोद में बड़ा करती है, हमें इस काबिल बनाती हैं कि हम दुनिया को समझ सके और कुछ भी कर सके।
वह हमेशा हमारे लिए उपलब्ध रहती है, ईश्वर की तरह हमारी परवरिश करती है।
अगर इस धरती पर कोई भगवान है तो माँ होती है, कोई भी हमारी माँ की तरह परवरिश नहीं कर सकता, कोई भी अपना सबकुछ उसकी तरह हमारे लिए बलिदान नहीं कर सकता।
वह हमारे जीवन की सबसे बेहतरीन महिला होती है उसकी जगह कोई भी नहीं ले सकता।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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