माँ मुझको जन्म लेने दो - कविता - अंकुर सिंह

माँ मुझको आज जन्म लेने दो,
खुली हवा में खुलकर जीने दो।
आज भ्रूण हत्या से बचा मुझे,
गर्भ के बाहर मुझको आने दो।।

मैं कल्पना बन अंतरिक्ष को जाऊँगी,
प्रतिभा ताई बन मैं देश को चलाऊंगी।
मत मार मुझे कोख में माँ,
मैं पढ़ लिख बापू की पहचान बनाऊंगी।।

भैया संग स्कूल को जाऊँगी,
घर के कामों में हाथ बटाऊंगी।
बाबुल के आगन में चहकने वाली मैं,
दुल्हन लिबास ओढ़े ससुराल को जाऊँगी।।

वहाँ सास के,
कड़कती-दहाड़ती आवाज़ों में,
डर डर कर मैं रह पाऊँगी,
मत मार मुझे आज कोख में माँ,
कल तेरी बिटिया रानी कहलाऊंगी।।

पति ना जाने मेरा कैसा होगा,
संस्कारी या जुआरी, शराबी होगा।
ननद दिखाती नखरे होंगी,
मनमौजी मेरा देवर होगा,
बोझ तले इनके मेरा जीवन होगा।।

माँ मुझे आज जन्म लेने दो,
अपने सपने को मुझे छू लेने दो।।
चलूँगी तेरे पद चिन्हों पर,
बस मुझे आज जन्म ले लेने दें।।

अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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