कुन्दन पाटिल - देवास (मध्यप्रदेश)
लोग - कविता - कुन्दन पाटिल
शुक्रवार, सितंबर 25, 2020
आपकी-मेरी, इधर-उधर की।
न जाने क्या क्या बातें करते लोग।।
सुख अपनो का पचा नहीं पाते।
दूख में कभी काम न आते लोग।।
अपने हाथों अपना सुख-चैन।
अक्सर यहाँ खोते रहते लोग।।
अपने सुख को खोजते रहते।
अपनो के सुख से दूखी लोग।।
अहंकार, नफरत, शक को पाले।
मान सम्मान अपना खोते लोग।।
सत्य-निष्ठा, सेवा से दूर जाते।
जीवन मरूस्थल बनाते लोग।।
सच्चे सुख की चाह मन में लिये।
जीवन भर दूख भोगते लोग।।
अपने अनमोल जीवन को भी।
व्यर्थ अडम्बर में बिताते लोग।।
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