खेतों के भगवान देश के किसान - कविता - हरिराम मीणा

धान उगाता पेट जो भरता मान नही किसान का। 
नेता दुश्मन बन बैठे है आज उसी की जान का ।।
किसान चल रहा कांटो पर और नेता वायुयान से।
खिलवाड़ हो रहा है भारत में खेतों के भगवान से।।

खेतो के आंगन में देखो मेहंदी हरि रचाता है।
होते हाथ सरसो से पीले खरी कमाई खाता है।।
भ्रस्टाचारी देश का नेता खेले उन्ही की जान से।
खिलवाड़ हो रहा है भारत में खेतों के भगवान से।।

खून पसीना रोज बहाता खुशहाली की आस में।
सूखे और ओलावृष्टि से कुछ नहीं रहता पास में।।
कब तक लड़ता रहेगा आखिर कर्जो के तूफान से।।
खिलवाड़ हो रहा है भारत में खेतों के भगवान से।।

रक्षा करते देश के फोजी। किसान की बात मोटी है।
दुश्मन मार गिराते फोजी किसान से रोजी रोटी है।।
राजनेताओं को परवाह नही है मतलब है मतदान से।
खिलवाड़ हो रहा है भारत में खेतों के भगवान से।।

कर्जा माफी क्यो नहीं करते किसानों के वास्ते।
आँसू रोज बहाया करते सब बंद पड़े हैं रास्ते।।
हर पल लड़ते हैं वो कठिनाइयों के पहान से।
खिलवाड़ हो रहा है भारत में खेतों के भगवान से।। 

किसानों की दर्द भरी पीड़ा को आज मैं सुनाता हूँ।
सोई हुई सरकारों को जाकर आज जगाता हूँ।।
हलधर व्यथा सुनी है आखिर आज हरिराम से।।
खिलवाड़ हो रहा है भारत में खेतों के भगवान से।। 

हरिराम मीणा - उगेन, बून्दी (राजस्थान)

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