हिन्दी से तुम प्यार करो - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला

हिंदुस्तान के रहने वालों,
हिंदी से तुम प्यार करो।

ये पहचान है माँ भारत की,
हिंदी का सत्कार करो।

हिंदी के विद्वानों ने तो,
परचम जग में फहराए।

संस्कार के सारे पन्ने,
हिंदी से ही हैं पाए।

देवनागरी लिपि में अपनी,
छुपा हुआ अपनापन है।

अपनी प्यारी भाषा हिंदी,
भारत मां का दरपन है।

हिंदुस्तानी होकर तुमने,
यदि इसका अपमान किया।

तो फिर समझो भारत वालों,
खुद का ही नुकसान किया।

हिंदुस्तान के रहने वालों,
हिंदी से तुम प्यार करो।

यह पहचान है माँ भारत की,
हिंदी का सत्कार करो।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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