हक - हक़ूक़ और ईमान का सौदा
जंग इंसाफ़ की हम रह गए लड़ते
कर लिया उसने हुक्मरान का सौदा
खूब सियासत चमका रहा था अपनी
करके वो अम्नो- अमान का सौदा
आदतन उसने तो झुठ बोला था
वो कर गया उसकी ज़ुबान का सौदा
मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)
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हक - हक़ूक़ और ईमान का सौदा
जंग इंसाफ़ की हम रह गए लड़ते
कर लिया उसने हुक्मरान का सौदा
खूब सियासत चमका रहा था अपनी
करके वो अम्नो- अमान का सौदा
आदतन उसने तो झुठ बोला था
वो कर गया उसकी ज़ुबान का सौदा
मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अकेले बैठना, चुप बैठना—इस प्रश्न की चिंता से मुक्त होकर बैठना कि ‘क्या सोच रहे हो?’—यह भी एक सुख है।
- अज्ञेय
अभिव्यक्ति के सारे माध्यम जहाँ निरस्त या समाप्त हो जाते हैं, शब्द वहाँ भी जीवित रहता है।
- केदारनाथ सिंह
कविता और प्रेम—दो ऐसी चीज़ें हैं, जहाँ मनुष्य होने का मुझे बोध होता है।
- गोरख पांडेय
साहित्यकार को चाहिए कि वह अपने परिवेश को संपूर्णता और ईमानदारी से जिए।
- फणीश्वरनाथ रेणु
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