इंसान का सौदा - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन

हो रहा है आजकल इंसान का सौदा

हक - हक़ूक़ और ईमान का सौदा


जंग इंसाफ़ की हम रह गए लड़ते

कर लिया उसने हुक्मरान का सौदा


खूब सियासत चमका रहा था अपनी

करके वो अम्नो- अमान का सौदा


आदतन उसने तो झुठ बोला था

वो कर गया उसकी ज़ुबान का सौदा


मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)


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