दिन पूरे हुए न साल
न बचपन पूरा जिया न जवानी
सब कुछ लगे अधूरी........
जैसे गर्मियों में तालाब का पानी
तीन माह सूखा है तो तीन माह पानी
जिंदगी की भी कुछ यही है कहानी
कभी लगे भरी-भरी तो कभी लगे बिरानी.......
जिंदगी के किस्से में हैं ये
जो कहती है अपनी जुवानी
कुछ है अधूरी सी
और कुछ है पुरानी
चल जी लेते हैं अपनी एक नई जिंदगानी.....
जब करवट लेती है जिंदगी
तब कहती है अपनी कहानी
न बचपन पूरा जिया न जवानी
चल जी लेते हैं अपनी एक नई जिंदगानी.....
मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)